होम लोन की चर्चा होती है तो कई बार कनफ्यूजन की स्थिति हो जाती है? समझ नहीं आता कि इंटरेस्ट रेट फिक्स्ड हो फ्लोटिंग?आइए जानते हैं कि होम लोन के री-पेमेंट पर ईएमआई किस तरह कैलकुलेट होगी और आपको क्या टैक्स लाभ मिल सकते हैं?
होम लोन फिक्स्ड ब्याज दर पर लें या फ्लोटिंग पर इस उधेड़बुन पर विराम लगाने के लिए अब बैंक ग्राहकों को हाइब्रिड लोन भी देनेलगे हैं. इसमें ग्राहक यह तय कर सकते हैं कि वे कुल लोन की कितनी रकम को किस तरह की ब्याज दर पर उधार लेना चाहते हैं.ऐसे लोग, जो रिस्क नहीं लेना चाहते, वे आमतौर पर कुल लोन की 80 प्रतिशत रकम का रीपेमेंट फिक्स्ड रेट पर करना पसंद करतेहैं. इसके उलट, ऐसे कर्जदार, जो ब्याज दर में होने वाली किसी गिरावट का फायदा उठाना चाहते हैं, वे अधिक से अधिक रकमफ्लोटिंग रेट पर लेते हैं. जो अब भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें फिक्स्ड रेट के रास्ते पर चलना चाहिए या फ्लोटिंग रेट काचुनाव करना चाहिए, वे बीच का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं. मसलन आधी रकम का भुगतान फिक्स्ड रेट पर कर सकते हैं औरआधी रकम को फ्लोटिंग रेट पर चुकता कर सकते हैं.
हाइब्रिड लोन दो तरह के होते हैं. पहला तो यह कि आप कुछ राशि का भुगतान फिक्स्ड रेट पर करें और बाकी का फ्लोटिंग पर.दूसरा यह कि आप एक तय समय जैसे: पांच साल के लिए पूरी रकम को फिक्स्ड रेट पर ले लें. इसके बाद यह टाइम खत्म होते हीआपके लोन पर उस समय का फ्लोटिंग रेट लागू हो जाएगा.
घरों की बढ़ती कीमतों और बढ़ती ब्याज दरों के चलते ईएमआई की रकम भी अच्छी-खासी होने लगी है. वैसे, ईएमआई की रकम इसबात पर निर्भर करती है कि आपने कितना लोन लिया है, ब्याज दर क्या है, लोन के रीपेमेंट की अवधि क्या है और ईएमआईकैलकुलेशन की विधि क्या है, हाइब्रिड लोन कुछ हद तक ईएमआई का बोझ हल्का कर सकता है. मान लीजिए कि किसी व्यक्ति नेलोन पर ली गई कुल रकम का आधा हिस्सा फिक्स्ड रेट पर और आधा हिस्सा फ्लोटिंग रेट पर चुकाने का मन बनाया है. अब यदिवह 40 लाख रुपये का लोन लेता है, तो वह 20 लाख फिक्स्ड रेट पर और बाकी 20 लाख फ्लोटिंग रेट पर उधार ले रहा है. मानलीजिए, फिक्स्ड रेट 12 प्रतिशत है, तो उसकी ईएमआई 22,022 रुपये होगी और 11 पर्सेंट की फ्लोटिंग रेट पर ईएमआई20ए644 रुपये होगी. इस तरह, नेट ईएमआई होगी 42,666 रुपये. अब इस बात पर विचार करते हैं कि अगर एक व्यक्ति कुलरकम का 25 पर्सेंट हिस्सा फिक्स्ड रेट पर लेता है और बाकी रकम फ्लोटिंग पर.
अब मान लें कि दो साल बाद ब्याज दर 11 पर्सेंट से बढ़कर 13 पर्सेंट हो जाती है. ऐसे मेंए फिक्स्ड रेट पर ली गई 10 लाख की रकमकी ईएमआई 11 पर्सेंट के फिक्स्ड रेट के हिसाब से 11,011 रुपये बैठेगी. जबकि बाकी बचे 30 लाख की ईएमआई 13 पर्सेंट की नईब्याज दर के हिसाब से 35,000 रुपये बैठेगी. उसकी कुल ईएमआई बनेगी.46,159 रुपये. आशय है कि यदि आपने लोन पर लीरकम के ज्यादातर हिस्से को चुकाने के लिए फ्लोटिंग रेट का चयन किया है और ब्याज की दर बढ़ जाती है, तो ऐसे में, आपकोअपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी.
ईएमआई दो बातों पर डिपेंड करती है: आपने कितनी रकम लोन पर ली है और ब्याज कितना दे रहे हैं. री.पेमेंट के मामले मेंशुरुआत के कुछ सालों में आप अपनी ईएमआई में ज्यादातर ब्याज की रकम ही चुका रहे होते हैं और उसमें प्रिंसिपल अमाउंट बहुतकम होता है. जैसे-जैसे पूरा लोन चुकाने की समयावधि खत्म होने के करीब आती है, आपको ज्यादातर प्रिंसिपल एमाउंट चुकाना होताहै.
टैक्स बेनिफिट
होम लोन के मामले में प्रिंसिपल अमाउंट पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80 सी के तहत 1 लाख रुपये तक पर आपको टैक्स छूटका लाभ मिलता है. ब्याज की रकम पर धारा 24 के तहत, अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपये पर टैक्स की छूट मिल सकती है. मानलीजिए कि लोन लेने वाले व्यक्ति की कुल टैक्स योग्य आय है, 15 लाख रुपये. यदि उसने दो लाख का भुगतान ब्याज के तौर परकिया है और 1 लाख का भुगतान प्रिंसिपल अमाउंट के री-पेमेंट के तहत, तो उसकी कुल टैक्स योग्य आय होगी, 15 लाख माइनसडेढ़ लाख माइनस 1 लाख रुपये यानी 12ऋ5 लाख रुपये. इस रकम का 30 पर्सेंट टैक्स के तौर पर देना होगा. मतलब, होम लोन सेसंबंधित सभी तरह के टैक्स लाभों को काटने के बाद आपको 3.75 लाख रुपये टैक्स के तौर पर देने पड़ेंगे.
जैसे.जैसे साल बीतते जाएंगे, आपकी ईएमआई के माध्यम से इंटरेस्ट अमाउंट का पेमेंट कम और प्रिंसिपल अमाउंट का पेमेंट ज्यादाहोता जाएगा. तब संभव है कि आपको ब्याज दर पर 1.5 लाख रुपये का टैक्स लाभ न मिले. ऐसी स्थिति में अगर आप रकम जुटासकें, तो प्रीपेमेंट के बारे में सोचना लाभ का सौदा हो सकता है. इसके अलावा, यदि आपने म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक्स आदि मेंअच्छा.खासा निवेश किया हुआ है और वहां से आप इन टैक्स बचतों के मुकाबले ज्यादा कमा रहे हैं, तो भी आपको प्रीपेमेंट के बारे मेंगंभीरता से सोचना चाहिए.
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