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Friday 20 September 2013

सोच जो बनती जिन्दगी

हमारे अपनों की सोच जो बनती जिन्दगी
मिटाती है जिन्दगी सजाती है जिन्दगी 
चाहे कोई कितना भी करे मेहनत रात  दिन
मिट्टी को सोना सोना को मिट्टी बनाती 
अपनों की सोच से बनती है जिंदगी 
वक्त  भी देता साथ उसी का जो 
हां में हां ना में ना बताती है जिंदगी 
हो जो ख़ुशी का समां जिंदगी में आपके 
जुड़ते है और गमो में  जाती है जिंदगी 
खिलने पर ही फूलो को  खुशबु का साथ मिलता है 
मुरझाए वक्त में छोड़ जाती है जिंदगी 
कुछ  सोचते है वो भगवान् बन गए
वो इसान भी है या नहीं वक्त पर बताती है जिंदगी 
मोहब्बत तो बस अमीरों की जागीर बन गई 
गरीबो बस दिन रात सताती है जिंदगी 
महबूब भी जबानी में प्यार दिखता है 
आने पे बुडापा साथ छोड़ जाती है जिंदगी 
कोई करे जतन लाख जीतने की 
दिवार जब आपनो की आती है राह में 
एक पल में टूट कर बिखर जाती है जिंदगी 
साडी ख्वाहिशो को दबा कर अपने दामन में 
खुशियों  की खातिर आपनो के पिने के बाद भी 
वो आपने ही ताने मार मार कर जलती है जिंदगी 
खो जाये अगर गर राह में गुच्छे वो गमो के 
मिलने के बाद अपने साथी का थोडा साथ 
एक न एक दिन मार कर हथोडा गमो की बहार लाती है जिंदगी 
करना भरोषा गर हो चाहे अपने हो या पराये 
बस याद रखना दोस्तों आपने ही रास्तो पर लाती है जिंदगी 
कोशिश करो हजार कोई सच्चा दोस्त तो मिले 
आज कल तो माँ बाप ही दुश्मनी निभाती है हर कदम 
कोई मिले ना साबित करने को दौरे जिंदगी में तो 
आपनो पर ही प्रोयोग करवाती है जिंदगी   

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