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Friday 20 September 2013

दर्द सिर्फ जख्म नहीं देता है

दर्द सिर्फ जख्म नहीं देता है वो हवाए पुराने चोट को हरा कर देता है.
जब पहले से ही हो चलनी बदन आपका तो
हलकी सी टकराव बदन सुजा देता है
दर्द सिर्फ ताजा और बड़े घाव नही देता है
भुलाने की कोशी करो लाख बहरे हुए जख्मो को
एक चोट सभी की याद ताजा कर देता है
एक इशारा कहते है काफी होता दिल के करीब दरो को
पर हम उन्हें आपना कैसे माने जो कहने स भी न समझे दिल के फरमानों को
हम प्यार बेशुमार नहीं चाहते है पर दर्द को हरा करने वाली कोई हवा तो चलाओ
जख्म  ज़माने लग जाते है ये समझा दो जरा चोट देकर मुस्कुराने वालो को
प्यार मिले न मिले जीवन भर हमें कोई अफ़्सोश नहीं
नफरत के दीदार न कराओ यारो
हम कहते है बस इस ज़माने में सहते जाए सबकुछ हमेशा
पर तुम भी मेरे सब्र का इम्तहान तो ना लो
हर वक्त जख्म देकर माफ़ी माग ले जो ऐसी कोई रस्म तो न बनाओ यारो
दिल रोता रहे हर पल कोई किसी को गम नहीं
हसने की कोशिश करने पर कोई फिर से आग तो न लगाओ यारो
मैं जानता हु गवारा नहीं किसी को चारे पे मेरे मुस्कान आपये पल भर
पर रोने की वजह कम से कम खुद को तो न बनाओ यारो
दुनिया में होना ये साबित नहीं करता है की हुम जी रहे है
कब से कब मरने के बाद तो हमें प्यार से दफनाओ यारो
हमें मालूम है गरीब को दफ़नाने से होती है इज्ज़त कम आपकी
चलो दूर से ही एक मूट्ठी मिट्टी देते चल जाओ यारो
सोचेंगे हम गलती न थी आपकी कफन के पैसे न थे मेरे पास तो क्या
नँगे ही दफनाओ यारो 

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